लहरें :-
हवा के थपेड़ों से समुन्द्र का जल सतह पर ही ऊपर नीचे हिलोरे लेता हैं| यह आगे को बढ़ता नही, केवल वही का वही लहराता हैं| खुले समुन्द्र में प्रबल हवाओं के थपेड़ों से 10 से 20 मीटर ऊची और 100 से 200 मीटर लंबाई तक की लहरें उठती है | लहरें समुन्द्र तट से टकराकर निरंतर काटती रहती है तथा ये नदियों द्वारा लाई हुयी मिट्टी को ले जाकर समुन्द्र के पेंदे पर जमा कर देती है|
ज्वार-भाटा :-
समुद्र का जल चंद्रमा द्वारा आकर्षित हो कर हर स्थान पर लगभग 24 घंटे 52 मिनट में दो बार चढ़ता और दो बार उतरता है | चढ़ाव को ज्वार और उतार को भाटा कहते हैं | पूर्णिमा और अमावस्या को सूर्य का आकर्षण बल चंद्रमा के आकर्षण बल की सीधे में कार्य करता है, जिससे बड़ा या वृहद ज्वार भाटा होता है | शुक्लष्टमी और कृष्णष्टमी को धरती के केंद्र पर चंद्रमा और सूर्य के अकर्षण बल एक दूसरे के साथ Right angle trangle बनाता है अतः समुद्र जल पर उसका attraction एक दूसरे के विपरित होता है | फलस्वरुप हल्का सा चढ़ाव उतार होता है, इसे लघु ज्वार भाटा कहते हैं | दैनिक अन्तर 24 घंटे के स्थान पर 24 घंटे 52 मिनट इसलिए हैं कि चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर घूमता है और घूमती हुयी पृथ्वी के जिस विशेष स्थान की सीधे में जिस विशेष समय पर वह पहले दिन था, अगले दिन उसी स्थान पर ठीक सीध में आने के लिए उसे 52 मिनट की यात्रा और करनी पड़ती हैं|
ज्वार भाटा का मुख्य कारण समुद्रतल पर तथा पृथ्वी-केन्द्र पर चंद्रमा के attraction force में अंतर है | ये दोनों स्थान एक दूसरे के लगभग 6,500 km दूर हैं | इसलिए इन पर चंद्रमा के attraction में difference पाया जाता हैं|
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Tuesday 5 March 2019
World's environment
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